जाने भैंसो की नसले ,और ऊनमे से कोनसी भैंसे ना पाले कौनसी भैसे पाले भाग -3.


जाने भैंसो की नसले ,और ऊनमे से कोनसी भैंसे ना पाले कौनसी भैसे पाले भाग -3.

भाग 1/2 मे हमने भैसो के नसलो की पूरी  जानकारी ले ने की कोशिश की भाग 3 मे और भैसो की मालूमात आपतक पौचानेकी पूरी कोशिश करेगे ,
तो चलो दोस्तो कूच भैसो कि मालूमात कर लेते है ,ताकी हमे भैसो की खरेदी करते वक्त हमे कोयी ठग ना सके,

5 ) जाफराबादी भैस,

      जाफराबादी भैस मूलता गूजरात के कच्छ,जूनागड,जामनगर, मे पायी जाती है,ईसे जामनगरी ,गिर तथा जाफराबादी नाम से भी जाना जाता है,गूजरात राज्य के जाफराबाद की मूल नसल होने के कारन जाफराबादी नाम से संभोदा जाता है,ईसका बदन भारी  तथा बदन लंम्बा और ईस नसल के भैसो के सिंग भारी तथा नीचे से गोल फिरे होते है,पर मूर्रा नसल से कम घूमावदार होते है, जाफराबादी नसल की भैसो का सर भारी भरकम होता है, जाफराबादी भैंसो का वजन 800/1000 केजी तक हो सकता है ,जाफराबादी नसल के भैसो के माते घूमट जैसी होते है जो की बहोत ही आक्रशक लगते है,

जाफराबादी नसल के भैसो का रंग आमतोर पे काला होता है और ईनकी तौचा ढिली होती है,ईस नसल मे क्रूत्रीम गर्ब धारन का सफलता दर अंन्य भैसो के माने कम होता है, ईस लिये भैस पालन मे ईसकी शूध नसल ही ईस्तमाल मे लायी जाती है ,जाफराबादी की रोगप्रतीकार शक्ती अन्य भैसो के माने मे कम होती है,जाफराबादी भैसे प्रतिदीन 10/12 लिटर दूध देती है,ईस नसल का वाष्रीक दूध उत्पादन दर 3000/3500 होता है, वौसे तो ये नसल दूध उत्पादन के लिये महत्वपूर्न है पर रोगप्रतिकार शक्ती कम होने के कारन ईस नसल को पालने मे पशू पालक हिचकिचाते है,
जाफराबादी नसल दूध उत्पादन के मामलेमे बहोत ही अच्छी नसल है,पर रोगप्रतिकार शक्ती कम रेहने के कारन और भारी भरकम शरिर होने के कारन भैस पालक ईस नसल को कम पसंती दरशाते है , 
दोस्तो जाफराबादी नसल मे ईतना ही देखते है अगले भैसो के नसल के बारे मे,

6 ) नीलि-रावी भैंस,
               
                    निली रावी मूंख्खता पंजाब के सतलज और रावी नदी के बिच उत्पती हूवी है,पहीले निली और रावी दो अलग अलग नसले थी बादमे दोनो का ब्रीडीग  कर दोनो की नसल पैदा की उसको नाम निली रावी हूवा,ऐसि मांन्यता है कि निली रावि को ये नाम सतलज नदी के निले पानी पे मिला है,निली रावी को पंच कल्यानी नाम से भी जाना जाता है,ये नसल पंजाब राज्य की अमरितसर,गूरदासपूर,फिरोजपूर जिल्हे मे पायी जाती है,

निली रावी पशु कि पेहचान बहोत ही आसान होती है ईस नसल के माते,पैरो ,पूच पर सफेद निशान होते है,
सफेद निशान को छोड दे तो  बाकी मूर्रा नसल जैसी हाी दिखायी देती है ,ईन का रंग काला होता 
है पर कही कही ये भूरे रंग मे भि पायी जाती है, 
सीग छोटे होते है ,और मूर्रा नसल की तरा ही मूडे होते है पर मूर्रा नसल के ईतने मूडेहूवे नही होते है,निली रावी भैस बडे आकार की होती बै मादा के मूकाबले नर की गरदन बडी और चौंडी होती है,निलीरावी भैंसे  का वजन 700 किलो से जादा भी होता है,और मादा का वजन 600 किलो तक  होता है,
निली रावी नसल दूध उत्पादन मे आच्छी नसल मानी जाती है,प्रती दिन  5 से 7 लिटर दूध देती है,
 ईनका ब्यांत अंतरकाल 440 से 485 दिनो का होता है,पहीले ब्यांत मे आयू 40 से45 माह की होती है,

               दोस्तो ईसी तरहाके अच्छेअच्छे मालूमात पाने के लिये हमारे ब्लॉग से जरूर जूडे ,अबतक आपने हमारे ब्लॉग को फॉलो नही किया तो  फॉलो जरूर करे ताकी हम अच्छीअच्छी ब्लॉग आपके लिये लाते रहे,
मे हू आपका दोस्त तनविर शेख
धन्यवाद,🌴
SHARE

Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 Comments:

एक टिप्पणी भेजें