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| bakri palan kaise kare. |
बकरी पालन का व्यावसाय करनेे से पहीले बकरी पालन जान लेना बहोत जरूरी है ,लोग ईस व्यावसाय मे फायदा देख के ऊतर ते है,पर ईस की पूरी जानकारी न होने के कारन लोगो को ईस व्यावसाय मे मूनाफा नही हो पाता है , ईस लीये कोही भी व्यावसाय मूनाफे देख कर नही होता ऊसे समजना पडता है ,उस व्यावसाय के लीये उस व्यावसाय को ऊतना वक्त देना जरूरी होता है ,अगर आप उसको समज नही पाओगे तो कभी successful नही हो पाओगे,तो चलो दोस्तो बकरी पालन को समजते है,
बकरी पालन,3 प्रकार से कीया जाता है ,
- खूला बकरी पालन,
- बंध्दीस्त बकरी पालन,
- अर्धबन्दीस्त बकरी पालन,
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| खूला बकरी पालन , |
1) खूला बकरी पालन :-
ये बकरी पालन खूले तौर पर कीया जाता है, ये बकरीपालन जादातर ,गावो मे देखा जाता है,ये बकरी पालन पारंपारीक पद्धतीसे कीया जाता है ,ईस मे कीसी प्रकार की लागत नही लगती,ईस मे बकरी यों को दीनभर खूलेमे चरनेकेलीये छोड दीया जाता है, और रात मे बाडेमे या गोटो मे बांद दीया जाता है,तो चलो दोस्तो देखते है खूला बकरीपालन के फायदे और नूकसान क्या है,
फायदे:-
इसमे चारेे में होनेे वाला आतीरीक्त खच्र नहि होता ,बकरीया नैसग्रीक चारेपे ही पलती है,बकरी यो के लीये फाम्र बनानेे में जो खच्र आता है वो बच जाता है ,जादातर इन बकरीी यों को समय पे टिका करन नही कीया जाता ,उसके आलावा आय्रूवेदीक नूस्कोपे भर दीया जाता है,जीस्से के दवाई पे होनेवाला खच्र बच जाता है,अगर देखा जाऐ तो ईस प्रकार में बकरीया बीना कीसी खच्र के पल जाती है ,रोज का दूध मिलजाता है और जरूरत पडनेपे बकरे या बकरीया बेच के मूनाफा कमाया जा सकता है,ईस लीये बकरी यों को गरीबों की गाय,या गरीबो का ऐ.टी.एम कहा जाता है.
नूकसान :-
आज के दौर मे बकरी पालन को व्यावसायीक रूप आ चूका है,व्यावसायीक रूप मे खूला बकरी पालन करना फायदेमंद नही समजा जाता ,खूला बकरी पालन मे बकरीयो का वजन जीतना व्यावसायीक तोर पे बडना चाहीये ऊतना नही बड पाता, ईस वजह से मूनाफा खूला बकरी पालन मे होना मूश्कील हो जाता है, बाहर चरने की वजह से खानेे में पोष्टीक आहार न मीलने के कारन शारीरीक वाड पूरी तरहां से नहिं हो पाती, ईसे बेचने के बाद आच्छा मूल्य नही मिल पाता, बकरीयो मे मरने का प्रमान जादा हो जाता है,
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| बंध्दीस्त बकरी पालन. |
2) बंध्दीस्त बकरी पालन :-
ईस प्रकार मे बकरी यों को पूरी तरह से बन करके पाली जाती है,ईन बकरी यों को चारा पानी सब एक ही जगह पे मील जाता है ,बदीस्त बकरीी पालन व्यावसायीक तोर पे की जाती है,ईस प्रकार मे बकरीयोके अच्छी नसल का ईस्तेमाल कीया जाता है, जीस्से की बकरीयोका वजन बढ़ने में मदत हो और मूनाफा पा सके, ईस प्रकार मे देखा गया है की बकरीयो के खाने पे जादा भर दीया जाता है, हारा चारा ,सूका चारा, खूराक ,दालवग्रीय पीक, वजन बडने के टॉनीक,ऐसी अलग-अलग चीजे बकरी यों को उनके वजन बढ़ने क लीये दीया जाता है,तो चलो दोस्तो देखते है बंद्धीस्त बकरीपालन के फायदे और नूकसान क्या है,
फायदे :-
बंदीस्त बकरी पालन मे बकरी यों को बाहर न छोड़ने के कारन इनके वजन बडने मे मदत होती है, वो बकरीया चारे के लीये बाहर नही फीरती ईस्से ऊनकी ताकत वाया नही जाती,ईस्से बकरीयो का वजन बडने मे मदत होती है , बाहर के चारा न खाने से बिमारीका भी खतरा टलने में मदत होती है ,और वक्त पर टीकाकरन करते रहने से बीमार भी कम रहती है, व्यॉक्सीन वगेरा देने के कारन ईन मे बीमारीयो का प्रमान कम पाया जाता है,ये बकरी यों का पालन व्यावसायीक त्वॉर पे कीया जाता है, ज्यादातर बकरी,बकरी ईद के लीये पाली जाती है.
नूकसान :-
बकरी यों का खाने का और दवाईयोका खच्र बड जाता है ,कही जगह पे कामगार का खच्र भी बडजाता है, नियोजन सही तोर पर नही होने से नूकसान हो सकता है,
फाम्र बनाने को जादी लागत लगती है,बकरीयो से जादा कही लोग फाम्र पे ही खच्र कर बेठते है, बकरी पालन की मालूमात कम रहनेे के कारन भी ईस्मे कही तरहाां के नूकसान देखनेे को मील जातें हैं,ईस प्रकार मे कज्र प्रकरन का प्रमान जादा दीखायी देता है,
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| अर्धबंदीस्त बकरी पालन. |
3) अर्धबन्दीस्त बकरी पालन :-
ईस प्रकार मे बकरीयो को आदे वक्त बंधिस्त और आदे वक्त बाहर चरने को छोडा जाता है, ईस्से बकरीयो का बन्दीस्त मे आने वला खच्र कम हो जाता है,तो चलो दोस्तो देखते है अध्रबंद्धीस्त बकरी पालन के फायदे और नूकसान क्या है,
फायदे:-
ईस मे चारे मे खच्र कम आता है, बकरी यों को दोनो तरहां का चारा मीलता है,जीस्से बकरी यों को वजन बढ़ने में भी मदत होती है,और लागतमेभी कमी होती है,
नूकसान :-
बकरी यों में बाहर चरने के कारन बीमारी का खतरा बढ़ जाता है, बकरी के चराने के लीये कामगार का खच्र बड जाता है,
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| bakri palan ki jankari |
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